आई सी एन ऑक्टेव-2020 : संगीत गंगा में वैश्विक आचमन

संगीत मात्र मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि एक प्रमाणित व स्थापित चिकित्सीय थेरेपी भी है जो मस्तिष्क में दिव्य ऊर्जा रोप कर मानवीय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाती है और व्यक्ति को किसी भी रोग, व्याधि अथवा संक्रमण का प्रतिकार कर स्वस्थ रहने अथवा होने की प्राकृतिक शक्ति प्रदान करती है।

एक पुरानी कहावत है – ‘जब रोम जल रहा था तब नीरो वंशी बजा रहा था।’ शायद इस कहावत को रचने वाले की दृष्टि में नीरो का वंशीवादन अकर्मण्यता एवं दायित्व  वर्जन हो और हो सकता है कि नीरो इसी अर्थ में अपनी वंशी बजा भी रहा हो किंतु समय ने सिद्व किया है प्रकृति पारिजात है। जीवन की प्रत्येक समस्या प्राकृतिक नियमों के उल्लंघन से ही उपजी है और हर समस्या का समाधान एवं उपचार भी प्रकृति के पास ही है। समय-समय पर होने वाले अनुसंधानों व प्रयोगों से यह बार-बार प्रमाणित हुआ है कि मनुष्य की कोई भी बीमारी, रोग, अस्वस्थता अथवा व्याधि केवल शारीरिक प्रकृति की ही नहीं होती है वरन् ये किसी न किसी रूप में मन व मस्तिष्क से भी जुड़ी होती हैं। यह भी बार-बार सिद्व हुआ है सबसे पहले मस्तिष्क और मन ही यह स्वीकारते हैं कि वे स्वस्थ हो चुके हैं और उसके बाद ही स्वस्थ मस्तिष्क शरीर को स्वस्थ करता है। इस दृष्टि से संगीत मात्र मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि एक प्रमाणित व स्थापित चिकित्सीय थेरेपी भी है जो मस्तिष्क में दिव्य ऊर्जा रोप कर मानवीय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाती है और व्यक्ति को किसी भी रोग, व्याधि अथवा संक्रमण का प्रतिकार कर स्वस्थ रहने अथवा होने की प्राकृतिक शक्ति प्रदान करती है।

वैश्विक कोरोना संक्रमण के चलते संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान अनेक संगीतकारों व गायकों ने देश-विदेश में ऐसे कई प्रयोग किये जिसके अत्यंत सकारात्मक परिणाम मिले और हमारे देश में तो इसकी आवश्यकता का अनुभव लॉकडाउन के बीच पेट्रोलिंग करती पुलिस टीम्स ने भी महसूस की। दुनिया की लगभग हर देश की सेना के पास अपना म्यूज़िक बैंड होता है। महाभारत से लेकर किसी भी बड़े युद्ध के विषय में अध्ययन करेंगे तो आप भी देखेंगे कि वहाँ भी संगीत विशिष्ट अर्थ में ऊर्जा उत्पन्न करने के उपकरण के रूप में उपस्थित है। संगीत बहुत शक्तिशाली है, बहुत दिव्य है और बहुत सकारात्मक है। आज जब विश्व कोरोना के घातक संक्रमण के प्रहार से अपने स्थान पर जड़वत् खड़ा रह गया है और समय पूर्णतया अवाक् है, तब संगीत की भूमिका और इसके संवाद और भी महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। आज के संदर्भ में यह कदापि नहीं कहा जा सकता है कि जब रोम जल रहा था तब नीरो वंशी बजा रहा था। आज वंशी मात्र आत्मानुभूति के लिये नहीं वरन् अखिल विश्व के कल्याण की शुभकामना के साथ बज रही है और उससे उपजा संगीत व ऊर्जा बिना अपने-पराये का भेद किये हमारी चिथड़े-चिथड़े हो चली मानसिक एकाग्रता के ताने-बानों को पुन: मजबूती के साथ बुन रही है।

आई सी एन डिजिटल मीडिया ग्रुप ने ज़मीनी मुद्दों से जुड़ कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवता के उत्थान का जो संकल्प लिया है वह धीरे-धीरे ज़मीन पर उतरने भी लगा है। भारतीय भूमि से शुभारंभ करके और उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहले थाइलैंड एवं फिर वियतनाम में ‘रूरल इंटरप्रिन्यूरशिप’ पर ऑनलाइन वेबिनार व वेबशॉप आयोजित करके आई सी एन ने यह बता दिया है कि सरहदें देशों के लिये हो सकती हैं, मानवता के लिये कदापि नहीं।

आई सी एन ने अपने मानव उत्थान के मिशन में एक कदम और आगे बढ़ते हुये आज सांगीतिक पारिजात के अमृतमय प्राकृतिक संगीत का विश्वस्तरीय जादुई चिकित्सकीय थेरेपी को कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित विश्व की रेपेयरिंग हेतु आई सी एन के एडीटर (एंटरटेनमेंट) व विश्व में सर्वाधिक संगीत रचनाओं के सृजनकर्ता सुप्रसिद्ध संगीतकार व गायक श्री केवल कुमार के नेतृत्व में ‘आई सी एन ऑक्टेव-2020 : वेब म्यूज़िक फ़ेस्ट’ के रूप में’ भारत के लखनऊ, मुबंई, दिल्ली, कोलकाता, अविख्यात व जयपुर प्रादेशिक राजधानी नगरों से विश्व को समर्पित किया। श्री केवल कुमार संगीत जगत की एक बहुत सम्मानित व नामचीन हस्ती हैं तथा संगीत की अनेक विधाओं पर अवर्णनीय अधिकार प्राप्त है। वे गीत, ग़ज़ल, भजन, लोकसंगीत व शास्त्रीय संगीत, सभी क्षेत्रों में अद्भुत सांगीतिक सृजन करते हैं तथा उनकी संगीतबद्ध रचनायें वरिष्ठ व स्थापित कलाकारों से लेकर नवांकुरों ने बहुत ही खूबसूरती से गाईं हैं। कोरोना के लॉकडाउन काल में लोगों को घर में रहते हुये स्वस्थ व सकारात्मक ऊर्जा पहूँचाने के उद्देश्य से ‘घर पर रहें -धर पर सुनें’ श्रृंखला के माध्यम से प्रतिदिन एक नयी रचना प्रस्तुत करते हुये दो सौ से अधिक रचनायें डिजिटल प्रणाली से समाज को सौंपी जिन्हें भारत के अनेकों वरिष्ठ व नये कलाकारों ने अपने स्वर दिये जिनमें अनूप जलोटा, ऊषा मंगेशकर व पार्श्वगायिका शारदा जैसे वरिष्ठ व स्थापित कलाकार शामिल हैं। इस श्रृंखला की एक और विशेषता यह है कि इन सभी रचनाओं के कवि व शायर प्रसिद्ध गीतकार श्री अशोक हमराही जी हैं। संगीत के इस अनोखे कारवाँ में श्री अनूप जलोटा, जो भजन सम्राट व विख्यात ग़ज़ल गायक हैं, ने विश्व के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी व समर्पण की भावना के साथ सदैव बड़ी ही अहम् भूमिका निभाई एवं इस वैश्विक यज्ञ में सदैव अपनी आहुति प्रस्तुत करने के लिये तत्पर रहने की अभिलाषा भी व्यक्त की। 

आई सी एन ने इस अद्भुत कारनामे को और भी विलक्षणता प्रदान करते हुये अपने आई सी एन क्लब के उद्घाटन के अवसर पर आज पंद्रह अगस्त अर्थात् स्वतंत्रता दिवस पर विश्व को भारतीय उपहार के रूप में इसकी वैश्विक श्रृंखला का प्रारंभ किया और इस श्रृंखला के पहले पंद्रह कलाकारों का वैश्विक परिचय कराया जिनके नाम है।

‘भजन सम्राट’ पद्मश्री अनूप जलोटा (मुंबई) 

संगीत के साधना पुरुष-केवल कुमार

गीतों के ‘कल्पवृक्ष’ अशोक अमराही (मुंबई)

सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका उषा मंगेशकर (मुंबई)

उस्ताद सख़ावत हुसैन खां (रामपुर)

सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका शारदा (मुंबई)

गायिका डॉ सृष्टि माथुर (जयपुर)

पार्श्व गायिका पृथा मजूमदार (मुंबई)

पार्श्व गायिका मधुश्री (मुंबई)

गायिका जैस्मीन मेहता (अहमदाबाद)

सुप्रसिद्ध गायक प्रोफ़ेसर विद्याधर मिश्र (प्रयागराज)

गायिका संजीवनी भेलांडे (मुंबई) 

गायिका मुक्ता चटर्जी (लखनऊ)

गायिका देबारति चक्रवर्ती (कोलकाता)

गायिका डॉ शिखा भदौरिया (लखनऊ)

आई सी एन के चीफ़ एडवाइज़र प्रो० के.वी.नागराज, सीनियर एडवाइज़र श्री राकेश लोहुमी, चीफ़ कंसल्टिंग एडिटर प्रो० प्रदीप माथुर व ग्रुप एडिटर श्री विजय वर्मा ने इस अवसर पर ग्रुप के एंटरटेनमेंट विभाग को उनके समर्पण पर विशेष रूप से बधाई देते हुये हर्ष व्यक्त किया। श्री तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर ने कहा कि आई सी एन विश्व की पहली संस्था है जो जीवन के हर क्षेत्र में मानवीय उत्थान के लिये संकल्पित है। डॉ शाह अयाज़ सिद्दिक़ी, एडिटर इन चीफ़ ने कहा कि आज की परिस्थिति में मानव की संवेदना अंतर्राष्ट्रीय होनी चाहिये और प्रेम, दया व सहयोग के बीच में किसी सरहद का कोई अस्तित्व नहीं होता। डॉ शिखा भदौरिया, असिस्टेंट एडिटर (एंटरटेनमेंट) ने संगीत के इस महापर्व पर सभी की साझीदारी के प्रति आभार व्यक्त किया।

आई सी एन के कंसल्टिंग एडिटर सुरेश ठाकुर,सीनियर कंसल्टिंग एडिटर डॉ. भोला नाथ मिश्रा, मैनेजिंग एडिटर डॉ. सुधांशु सिंह, चीफ कंसल्टिंग एडिटर डॉ. उपशम गोयल, एडीटर (इंटरनेशनल) राजीव सक्सेना, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर तरुण प्रकाश श्रीवास्तव ,एडिटर-इन-चीफ डॉ. शाह अयाज़ सिद्दीक़ी, एडिटर बरनाली बोस, एडिटर डॉ मोहम्मद अलीम, एडिटर एम. एस. मज़ूमदार, एडिटर मुहम्मद ज़ैद, एडिटर जी.पी. सिन्हा, एडिटर सी.पी़ सिंह, एग्जीक्यूटिव एडिटर डॉ शाह नवाज़ सिद्दीकी, एग्जीक्यूटिव एडिटर सुशांत कुमार सिंह, अमिताभ दीक्षित एडिटर-यू.पी.,एग्जीक्यूटिव एडिटर हार्दिक मुरारका, एसोसिएट एडिटर राहिल अख़्तर संगीत के इस महापर्व मे सम्मिलित हुए

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